जीवन की भागदौड़ में हम अक्सर अपने धार्मिक मूल्यों और आध्यात्मिक जड़ों से दूर हो जाते हैं। धार्मिक सुविचार हमें वह दिशा प्रदान करते हैं जो हमारे जीवन को सार्थकता और शांति से भर देती है। यहाँ प्रस्तुत 90+ dharmik suvichar in Hindi आपके मन को प्रेरणा से भर देंगे और जीवन में नई ऊर्जा का संचार करेंगे।
भगवद गीता के धार्मिक सुविचार
Bhagavad Gita Quotes
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर कभी नहीं।Copy
योगस्थः कुरु कर्माणि। समत्व बुद्धि में स्थित होकर कर्म करो, यही योग है।Copy
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। सज्जनों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए मैं युग-युग में जन्म लेता हूँ।Copy
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं अवतार लेता हूँ।Copy
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। अच्छी तरह आचरण किए गए दूसरे के धर्म से गुणहीन भी अपना धर्म श्रेष्ठ है।Copy
ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेषूपजायते। विषयों का चिंतन करने से उनमें आसक्ति उत्पन्न होती है।Copy
क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः। क्रोध से मोह उत्पन्न होता है और मोह से स्मृति भ्रम हो जाता है।Copy
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः। बुद्धिमान पुरुष कर्मफल को त्यागकर जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।Copy
समदुःखसुखः स्वस्थः समलोष्टाश्मकाञ्चनः। जो दुःख-सुख में समान रहता है, वही स्थिर बुद्धि वाला है।Copy
ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः। ज्ञान के द्वारा जिनका अज्ञान नष्ट हो गया है, उनका ज्ञान सूर्य के समान परम तत्व को प्रकाशित करता है।Copy
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। सब धर्मों को छोड़कर केवल मेरी शरण में आ जाओ।Copy
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु। मुझमें मन लगाओ, मेरे भक्त बनो, मेरा पूजन करो और मुझे नमस्कार करो।Copy
संत कबीर के आध्यात्मिक विचार
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।Copy
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय।Copy
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।Copy
साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय।Copy
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।Copy
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।Copy
निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।Copy
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाँय। बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय।Copy
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।Copy
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।Copy
जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप। जहाँ क्रोध तहाँ काल है, जहाँ क्षमा तहाँ आप।Copy
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय। औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय।Copy
तुलसीदास जी के धार्मिक सुविचार
राम नाम मणि दीप धरु जीह देहरीं द्वार। तुलसी भीतर बाहरहुं जो चाहसि उजियार।Copy
सीय राममय सब जग जानी। करउं प्रनाम जोरि जुग पानी।Copy
जो सुमिरत सिद्धि होइ गन नायक करिबर बदन। करहु अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।Copy
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।Copy
सुख हरषहिं जड़ दुख बिलखाहीं। दुख सुख जाहु बिबेकिन्ह नाहीं।Copy
परहित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।Copy
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक। साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक।Copy
मुखिया मुख सो चाहिये, खान पान कहुं एक। पालै पोषै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक।Copy
तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुं ओर। बसीकरन इक मंत्र है, परिहरू बचन कठोर।Copy
तुलसी देखि सुबेष भूलहिं मूढ़ न चतुर नर। सुंदर के किहि पेख बचन, सुधा सम असन अहि।Copy
वेदों और उपनिषदों के सुविचार
सत्यमेव जयते नानृतम्। सत्य की ही विजय होती है, असत्य की नहीं।Copy
वसुधैव कुटुम्बकम्। संपूर्ण पृथ्वी एक परिवार है।Copy
अहिंसा परमो धर्मः। अहिंसा परम धर्म है।Copy
योगः कर्मसु कौशलम्। कर्मों में कुशलता ही योग है।Copy
तमसो मा ज्योतिर्गमय। अंधकार से ज्योति की ओर ले चलो।Copy
असतो मा सद्गमय। असत्य से सत्य की ओर ले चलो।Copy
मृत्योर्मा अमृतं गमय। मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।Copy
आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च। आत्मा की मुक्ति और जगत के कल्याण के लिए।Copy
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त हों।Copy
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः। शांति ही शांति हो।Copy
भक्ति और ईश्वर प्रेम पर सुविचार
भक्ति बिना भव तरण नहीं, और सब साधन व्यर्थ हैं।Copy
जहाँ प्रेम है वहाँ भगवान का निवास है।Copy
भक्ति में न जाति देखी जाती है न कुल, केवल प्रेम देखा जाता है।Copy
ईश्वर के सामने झुकना बड़ाई नहीं, सबसे बड़ी समझदारी है।Copy
भक्ति से बड़ा कोई यज्ञ नहीं, प्रेम से बड़ा कोई तप नहीं।Copy
हरि के नाम बिना सब व्यर्थ है, जैसे बिन जल मछली।Copy
भगवान के भजन से बड़ा कोई पुण्य नहीं।Copy
सच्ची भक्ति दिखावे में नहीं, मन की पवित्रता में है।Copy
प्रभु को पाने के लिए सिर्फ सच्चा प्रेम चाहिए, धन-दौलत नहीं।Copy
भक्त और भगवान के बीच प्रेम का रिश्ता है, भय का नहीं।Copy
जो राम को भजता है, वह सदा सुरक्षित रहता है।Copy
भक्ति मार्ग सबसे सरल है, बस श्रद्धा और प्रेम चाहिए।Copy
कर्म और धर्म पर प्रेरक विचार
कर्म ही पूजा है, निष्ठा से किया गया कर्म भगवान को प्रिय है।Copy
धर्म वही है जो सबका हित करे।Copy
अपने कर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं।Copy
जो अपना कर्तव्य पालन करता है, वही सच्चा धार्मिक है।Copy
बुरे कर्म का फल बुरा और अच्छे कर्म का फल अच्छा ही मिलता है।Copy
धर्म संकट में भी अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए।Copy
कर्म करते समय फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।Copy
जीवन में कर्म ही सब कुछ है, बाकी सब माया है।Copy
धर्म की रक्षा करने वाले की धर्म रक्षा करता है।Copy
स्वधर्म में मृत्यु भी श्रेयस्कर है।Copy
कर्महीन व्यक्ति पशु के समान है।Copy
निष्काम कर्म ही सच्चा कर्म है।Copy
सत्य और ईमानदारी के सुविचार
सत्य बोलना कड़वा होता है, पर अंत में मीठा फल देता है।Copy
सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं।Copy
झूठ के पाँव नहीं होते, वह ज्यादा दूर नहीं जा सकता।Copy
सत्यवादी को कभी भय नहीं होता।Copy
ईमानदारी सबसे बड़ी संपत्ति है।Copy
सत्य कभी नहीं हारता, चाहे कितना भी विलंब हो।Copy
जो सत्य का साथ देता है, ईश्वर उसका साथ देता है।Copy
सत्य वचन सबसे कठिन तपस्या है।Copy
असत्य से किसी का भला नहीं होता।Copy
ईमानदारी से कमाया गया एक रुपया लाख रुपये से बेहतर है।Copy
दया और करुणा के धार्मिक विचार
दया धर्म का मूल है।Copy
जिसके हृदय में दया नहीं, वह मनुष्य नहीं पशु है।Copy
दूसरों के दुःख में दुःखी होना ही सच्ची मानवता है।Copy
करुणा से बढ़कर कोई पुण्य नहीं।Copy
दयालु व्यक्ति भगवान का प्रिय होता है।Copy
जीव पर दया करना ईश्वर की पूजा है।Copy
निर्बल की सहायता करना सबसे बड़ा धर्म है।Copy
क्रूरता पाप है और दया पुण्य।Copy
जो प्राणियों पर दया करता है, भगवान उस पर दया करते हैं।Copy
दया से भरा हृदय स्वर्ग के समान है।Copy
मन की शांति और संतोष के सुविचार
संतोष सबसे बड़ा धन है।Copy
मन शांत हो तो स्वर्ग यहीं है।Copy
जिसे संतोष है, उसके पास सब कुछ है।Copy
मन की शांति सभी सुखों से बड़ी है।Copy
इच्छाओं का अंत ही शांति का आरंभ है।Copy
संतोषी सदा सुखी रहता है।Copy
मन को वश में करना ही सच्ची विजय है।Copy
शांत मन में ही ईश्वर का वास होता है।Copy
असंतोष दुःख का मूल है।Copy
जो वर्तमान में संतुष्ट है, वही सच्चा सुखी है।Copy
जीवन जीने की कला पर धार्मिक सुविचार
जीवन एक उत्सव है, इसे उत्साह से जियो।Copy
हर दिन एक नया अवसर है।Copy
अतीत को भूलो, वर्तमान को जियो।Copy
जीवन में सरलता ही सुंदरता है।Copy
कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं।Copy
जीवन में संतुलन बनाए रखो।Copy
छोटी-छोटी खुशियों में जीवन का सार है।Copy
जो आज है, वही सत्य है।Copy
जीवन में धैर्य सबसे बड़ा गुण है।Copy
हर परिस्थिति से कुछ सीखो।Copy
जीवन में कृतज्ञता का भाव रखो।Copy
सादा जीवन, उच्च विचार ही आदर्श जीवन है।Copy
निष्काम कर्म के सुविचार
फल की इच्छा किए बिना कर्म करना ही निष्काम कर्म है।Copy
कर्म करो, फल की चिंता मत करो।Copy
निष्काम भाव से किया गया कर्म बंधन नहीं बनाता।Copy
स्वार्थ रहित सेवा ही सच्ची सेवा है।Copy
निष्काम कर्म से मन पवित्र होता है।Copy
फल की आसक्ति कर्म को दूषित कर देती है।Copy
बिना अपेक्षा के दिया गया दान सबसे श्रेष्ठ है।Copy
निष्काम कर्म योगी का लक्षण है।Copy
Conclusion
ये dharmik suvichar in Hindi केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाते हैं। इन्हें अपने दैनिक जीवन में उतारकर आप आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। इन धार्मिक विचारों को हृदय में धारण कर जीवन को सार्थक और प्रेरणादायक बनाएं।
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